Tuesday, November 22, 2011

खौफ : हर महीने दस हिंदू परिवार छोड़ रहे पाकिस्तान

खौफ : हर महीने दस हिंदू परिवार छोड़ रहे पाकिस्तान


पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बीते कुछ हफ्तों के दौरान तीन हिंदुओं की हत्या और अपहरण की घटनाओं के कारण समुदाय की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। पाकिस्तान हिंदू परिषद और पाकिस्तान हिंदू सेवा आदि संगठनों का दावा है कि भेदभाव, फिरौती के लिए अपहरण, जबरदस्ती धन वसूली और दबाव डालकर धर्म परिवर्तन की घटनाओं के कारण कई हिंदू परिवार विदेश में पलायन कर गए हैं और यह प्रवृत्ति दिनों-दिन बढ़ रही है। पाकिस्तान हिंदू परिषद के अध्यक्ष संजेश कुमार ने कहा, सरकार यह बात महसूस नहीं कर रही है कि किस तेजी से यह पलायन हो रहा है, क्योंकि हिंदू समुदाय के मन में असुरक्षा की भावना है। कुमार ने कहा कि अनुमान के अनुसार हर माह करीब आठ से दस हिंदू परिवार पाकिस्तान से पलायन कर जाते हैं। इनमें से अधिकतर मध्यम वर्ग या संपन्न तबके के हैं।

उन्होंने कहा कि गरीब या निचले तबके के हिंदुओं के पाकिस्तान में बने रहने के अलावा कोई और चारा नहीं है। कुमार ने कहा कि यह दुखद है कि सदियों जिन परिवारों की जड़ें सिंध में रही हैं उन्हें पलायन करना पड़ रहा है। यह दुखद सचाई है। गैर आधिकारिक रूप से पाकिस्तान में 70 लाख हिंदू रहते हैं जो दुनिया में हिंदुओं की पांचवीं सबसे बड़ी आबादी है। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हिंदुओं का पलायन पाकिस्तान के लिए नुकसान है, क्योंकि भारत सहित विदेश जाने वाले इन लोगों में से अधिकतर पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, किसान हैं या अपने बड़े व्यवसाय चला रहे हैं। काउंसिल के संस्थापक रमेश कुमार ने कहा कि यह पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिभा पलायन है, क्योंकि हिंदुओं का मानना है कि उन्हें वह सुरक्षा और अधिकार नहीं मिल रहे जो अन्य पाकिस्तानियों को उपलब्ध हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों और सामाजिक विज्ञान विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पसंख्यकों विशेषकर हिन्दुओं के लिए स्थिति में नाटकीय परिवर्तन जनरल जिया उल हक के 11 साल के सैन्य शासन के दौरान आया। पूर्व खिलाड़ी मोहिंदर कुमार याद करते हैं, जिया के समय से पहले चीजें अलग थीं। काफी सहिष्णुता थी तथा हिन्दू लोग अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ बिना भय के शांति से रहते थे। उन्होंने कहा, जिया के समय से कट्टरपंथ और असहिष्णुता बढ़ गई तथा अपराधियों ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। हिंदुओं में आज जो भय है उसका कारण वास्तविक जीवन की घटनाएं हैं। घटनाओं के शिकार बने परिवार उस बारे में बात नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें उसके नतीजों का भय है।

मशहूर बालीवुड अभिनेत्री जूही चावला के रिश्तेदार सतीश आनंद का कराची में 2009 में अपहरण हो गया था। छह माह तक बंधक बनाए रखने के बाद उन्हें रिहा कराने के लिए अपहरण करने वालों को फिरौती की रकम चुकाई गई। आनंद ने घटना की याद करते हुए बताया कि उन्हें पाकिस्तान के कबाइली क्षेत्र मीरांशाह से चार-पांच घंटे के सफर वाली दूरी पर स्थित बानू में उन्हें बंद करके रखा गया था। उन्होंने कहा, मैंने अपने जीवन में कभी इतना असहाय महसूस नहीं किया। इस घटना के बाद हमारे कुछ परिजन विदेश पलायन कर गए। मशहूर निर्माण एवं वितरण कंपनी का स्वामित्व करने वाले आनंद की रिहाई के लिए एक करोड़ रुपये दिए गए थे। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के राजेश कुमार का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में ही कराची से करीब 200 हिंदू परिवार पाकिस्तान से पलायन कर गए।

पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग, सिंघ के उपाध्यक्ष अमरनाथ मोटूमल ने कहा कि अल्पसंख्यक विशेषकर गरीब लोग चुपचाप सब सह रहे हैं। कुमार कहते हैं कि फिरौती के लिए अपहरण के अलावा हिंदुओं को जबरदस्ती धन वसूली तथा बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है विशेषकर अंदरूनी इलाकों में। उन्होंने कहा कि सिंध में इस तरह के धर्म परिवर्तन लगभग हर हफ्ते होते हैं। हाल में खैरपुर, दादू और जैकबाबाद से हिंदू लड़कियों के अपहरण के कारण हिंदू परिवारों को मजबूरी में उन गांवों को छोड़ना पड़ा जहां वे सदियों से रह रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार अकेले घोटकी में ही करीब 800 परिवार बाहर चले गए। कुमार ने 2007 में सिंध उच्च न्यायालय में बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक याचिका दायर की थी।

उसके बाद से चार वर्ष गुजर गए और उन्हें अब तक यह उम्मीद है कि कुछ ठोस परिणाम आएंगे। कुमार कहते हैं, मुझे पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली में पूरा भरोसा है। देखिए क्या होता है। साल भर पहले ठेकेदार हिमेश कुमार के पुत्र नितिन का कराची में उसके स्कूल से बाहर अपहरण कर लिया गया। अपहरणकर्ताओं के साथ कई महीने तक चली बातचीत के बाद नितिन को अंतत: रिहा कर दिया गया। पुत्र की रिहाई के बाद कुमार अपने परिवार के साथ भारत चले गए। उन्होंने इस बारे में सिर्फ करीबी मित्रों को जानकारी दी और अपना व्यवसाय समेटकर वे चुपचाप चले गए।

जैकबाबाद निवासी दो बच्चों की मां द्रौपदी मंधन को अपने जीवन में धार्मिक भेदभाव का सामना पहली बार उस समय करना पड़ा जब वह चिकित्सा को अपना करियर बनाने के लिए कराची आई। उन्होंने कराची में एक मकान तय किया और उसके लिए एक एस्टेट एजेंट के जरिए सौदा किया, लेकिन वह जब उस घर में रहने गई तो मकान मालिक ने उन्हें भगा दिया। द्रौपदी याद करती हैं कि मकान मालिक ने उन्हें एवं उनके बच्चे को अपवित्र कहा और उनसे सौदे को भूल जाने को कहा।

स्रोत:- दैनिक जागरण 21 नवम्‍बर 2011

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