Friday, February 6, 2009

"मुस्लिम वोट की खातिर कहां तक गिरोगे"

राष्ट्रविरोधी ताकतें हिन्दुओं के मन में भय और दहशत का माहौल कायम कर रहे हैं। वे अमरनाथ यात्रियों पर पत्थर बरसा रहे है। 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने श्रीनगर के लाल चौक में पाकिस्तान का झंडा फहराया, जिन बोर्डों व होर्डिंग पर 'भारत या इंडिया' लिखा था उन्हें तहस-नहस कर दिया।

श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने के मामले का राजनीतिकरण करने और अमरनाथ यात्रा को भंग करने के उद्देश्य से कश्मीर घाटी में हिंसा फैलाने के विरोध में जम्मू में विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समेत अनेक राष्ट्रवादी संगठनों के आह्वान पर जम्मू बंद का सफल आयोजन हुआ, जिसमें बढ़-चढ़कर लोगों ने हिस्सा लिया।

उल्लेखनीय है कि मुस्लिम वोटों के खिसकने के चक्कर में जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी ज़मीन के हस्तांतरण का विरोध कर रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी इस भूमि आवंटन के पक्ष में है। प्रारंभ में कांग्रेस भी भूमि आवंटन के पक्ष में थी लेकिन अब वह भी राज्य में तुष्टिकरण की राजनीति को हवा देने में जुट गई है। सवाल यह है कि आखिर वोट के लिए तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल कहां तक नीचे गिरेंगे? वोट के लिए देश को दांव पर लगाना उचित है?

सुविदित है कि पवित्र अमरनाथ गुफा दर्शन के लिए हर साल हज़ारों श्रध्दालु पहुँचते हैं। अलगाववादी नेता यह सवाल उठा रहे है कि अमरनाथ यात्रा में इतने लोगों को क्यों शरीक होना चाहिए। अलगाववादियों को यह समझ लेना चाहिए कि पूरा देश एक है और किसी को कहीं भी आने-जाने का अधिकार है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन दिए जाने के मुद्दे पर अलगाववादियों द्वारा कश्मीर घाटी में जो प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे है, उसके पीछे पाकपरस्त ताकतों का हाथ है। अजीब विडंबना है कि जब सरकार हज यात्रा के लिए छूट देती है तो अमरनाथ यात्रियों को सुविधा देने पर बवाल क्यो? पूरे भारत में हज यात्रियों के लिए बने स्थाई केन्द्रों से प्रदूषण नहीं फैलता, परंतु अमरनाथ यात्रियों के लिए की जा रही व्यवस्था से प्रदूषण फैलने का आरोप लगाना निहायत बेवकूफी भरा है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के पक्ष में जमीन हस्तांतरण के मुद्दे पर अलगाववादियों ने जिस तरह का राष्ट्रविरोधी रवैया अपनाया है, यदि इसके विरूध्द तत्काल सख्त कदम नहीं उठाए गए तो तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते है।

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