पीढिय़ों के दर्द की यह गलत दवा न दो
आपसी दुराव के सभी बयान रोक दो
देश बांटने की हर प्रवृत्ति को लगाम दो
द्वेषपूर्ण भाषणों की वृत्ति को विराम दो
यह प्रवृत्ति देश में नया विवाद लाएगी
और लग गई ये आग फिर न बुझने पाएगी।’’
जीवन में कभी-कभी अतीत में गहराई से झांकना बड़ा ही अच्छा लगता है और सुखद भी। भारतवर्ष में जिस तंत्र में हम रह रहे हैं और हम जिसे प्रजातंत्र कहते हैं वह आजादी के 6 दशक बाद कैसा सिद्ध हो रहा, इस पर मैं टिप्पणी करना चाहता हूं। मुझे लगता है कि हिन्दुस्तान में हिन्दुत्व की बात करना या हिन्दू होना गुनाह हो गया है। हिन्दुओं के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र रचा जा रहा है। धर्मनिरपेक्ष नामक शब्द भारत के माथे पर कोढ़ बन कर उभरा है। यह आज भी इस राष्ट्र के लिए कलंक है। धर्म चेतना का विज्ञान है अत: यह हमेशा एक ही रहता है।
हिन्दू समाज को पहले पश्चिम के विद्वानों ने निशाना बनाया। धर्मनिरपेक्षता को हथियार बनाकर हिन्दुत्व के मान बिन्दुओं पर आघात पहुंचाया गया। महात्मा गांधी के जमाने से ही कांग्रेस तुष्टिकरण की नीतियों पर चल पड़ी थी, जो आज तक चल रही है। कम्युनिस्ट और अन्य दलों ने भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमान, ईसाइयों को विशेषाधिकार दिए जाने की मांग शुरू कर दी। वोटों के लालच में इस शब्द का खुला दुरुपयोग किया जाने लगा। जब भी कभी हिन्दू हितों की बात की जाती है तो उन्हें साम्प्रदायिक करार दिया जाता है और धर्मनिरपेक्षता विरोधी बताकर खिलाफत की जाती है। इस तरह धर्मनिरपेक्ष शब्द को हिन्दू विरोध का पर्यायवाची बना डाला गया है। कांग्रेस आज इसका उत्तर दे सकती है कि क्या उसने ही मुस्लिमों के खिलाफत आंदोलन का समर्थन कर कट्टरवाद और अलगाववाद को बढ़ावा नहीं दिया था? समस्याओं की तथ्यपरक समीक्षा का समुचित समाधान निकालने के विपरीत गांधी और नेहरू कल्पना लोक में विचरण करते रहे। वे हिन्दुओं को समझाते रहे कि हिन्दू-मुसलमान में कोई भेदभाव नहीं हैं। दोनों ही भारतीय राष्ट्र का अंग हैं, गांधी जी कहते रहे ‘‘हिन्दुस्तान का बंटवारा मेरी लाश पर ही हो सकता है।’’ नेहरू जी कहते रहे ‘‘पाकिस्तान एक वाहियात सपना है।’’
''राजेन्द्र बाबू ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया डिवाइडेड’ में लिखा ‘‘पाकिस्तान असम्भव है’’ यह मानने वाले नेताओं ने ही बंटवारा स्वीकार किया। शांति और अहिंसा का घूंट पिलाकर हिन्दुओं को निहत्था और कायर बनाया। उसके बाद भारत का गवर्नर जनरल माउंट बेटन को ही रहने दिया किन्तु पाक का गवर्नर जिन्ना को स्वीकार कर लिया। परिणामस्वरूप पाकिस्तानी पुलिस, सेना और दंगाइयों के संयुक्त अभियान में लाखों हिन्दू कत्ल कर दिए गए। हिन्दुओं की अपार सम्पत्ति छीन ली गई। असंख्य महिलाओं का बलात्कार और अपहरण हुआ तथा वहीं रह रहे सभी हिन्दुओं का जबरदस्ती धर्मांतरण हुआ।''
आजादी के बाद भी कांग्रेस और अन्य दलों ने सत्ता के लिए हमेशा हिन्दुवादी संगठनों को निशाना बनाया। इसे देश का दुर्भाग्य कहें या पंडित नेहरू का सौभाग्य कि उन्होंने भी उस समय तेजी से शक्तिशाली हो रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कुचलने का प्रयास किया। महात्मा गांधी की हत्या का घृणित आरोप लगाकर संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। दिन-रात दुष्प्रचार कर जनता के मन में संघ के प्रति घृणा भर दी और इस तरह अपनी पार्टी और वंश का राजनीतिक मार्ग प्रशस्त कर दिया। महात्मा गांधी की हत्या में संघ निर्दोष पाया गया और दो वर्ष बाद उससे प्रतिबंध हटा लिया गया। कई बार संघ पर प्रतिबंध लगाया गया और हटाया गया। कांग्रेस आज भी पुराना खेल खेल रही है और तुष्टीकरण की नीतियों के चलते हिन्दू आतंकवाद का हौवा खड़ा कर रही है। गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने पहले भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी की तुलना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कर दी और फिर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने यह अनर्गल आरोप लगा दिया कि संघ की पाक की खुफिया एजैंसी आईएसआई से सांठगांठ है। पहले मालेगांव बम धमाके में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित की गिरफ्तारी के बाद संघ को निशाना बनाया गया जबकि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के ‘अभिनव भारत’ का संघ से कोई संबंध ही नहीं है। अब राजस्थान पुलिस ने अजमेर बम धमाके में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इन्द्रेश कुमार का नाम चार्जशीट में शामिल कर फिर षड्यंत्र का संकेत दे दिया है। इस षड्यंत्र के पीछे कांग्रेस की संकीर्ण राजनीतिक सोच नजर आ रही है। अभी इन्द्रेश कुमार के खिलाफ पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है। जांच में क्या निकलता है, यह कहा नहीं जा सकता लेकिन क्या राहुल गांधी के वक्तव्य को सच साबित करने के लिए इन्द्रेश कुमार को निशाना तो नहीं बनाया गया? बिहार चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस मुस्लिम वोटों की खातिर किसी भी हद तक जा सकती है और जांच एजैंसियों का दुरुपयोग कर सकती है। यह उसका पुराना खेल भी रहा है। देशवासियो जानो कांग्रेस की असलियत को। सरकार की नाक के नीचे हुर्रियत नेता गिलानी और लेखिका अरुंधति राय कश्मीर की आजादी का राग अलापते हैं और उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करने से इन्कार कर दिया जाता है। जिहादी आतंकवाद और नक्सली हिंसा का दायरा बढ़ रहा है। कट्टरपंथी पाक का झंडा लहरा रहे हैं लेकिन कांग्रेस हिन्दू आतंक का ढिंढोरा पीट रही है। आर्य पुत्रो ऐसे षड्यंत्रों से सावधान रहो। खादीधारी मेमने बड़े खतरनाक हैं, उन्होंने आग लगाई तो हिन्दू जनमानस को संगठित होना ही होगा और हिन्दू राजनीति को स्वर देना ही होगा।
पंजाब केसरी सम्पादकी
1 नवम्बर, 2010
1 नवम्बर, 2010
1 comment:
पुराना चरित्र है..
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