Tuesday, April 19, 2011

पाक में जबरन हिन्‍दुओं का धर्म परिवर्तन

स्रोत:- जागरण 19 अप्रैल, 2011

क्‍या इस समाचार के बाद कोई एक भी भारत का मानवाधिकार संगठन पाकिस्‍तान में हिन्‍दुओं पर हो रहे अत्‍याचारों पर एक शब्‍द भी बोलने की हिम्‍मत करेगा। कुछ दिनों पहले कोई एक बिनायक सेन के मानवाधिकारों को लेकर मीडिया से लेकर सड़क तक पर और विदेशों के नोबेल पुरस्‍कार विजेताओं की फौज खड़ी करने वाले तथाकथित अपने को धर्मनिरपेक्षता को सबसे बड़ा पेरोकार साबित करने वाले संगठनों में हौड लगी हुई थी। और ऐसा प्रचारित करने का प्रयास किया जा रहा था। जैसा कि अब भारत में लोकतंत्र नहीं, तानाशाही शासन व्‍यवस्‍था आ गई हो। परन्‍तु उस हिसाब से तो पाकिस्‍तान को हम किस श्रेष्‍णी में रखें। जहां, केवल हिन्‍दू होना ही कोई अपराध हो और उसे हीन द़ष्टि से देखा जाता है। और तरह-तरह के अत्‍याचार किये जाते हैं और जबरदस्‍ती इस्‍लाम कबूल करवाया जाता है। मैं पूछना चाहता हूं, उन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों से क्‍या हिन्‍दू को जीने का अधिकार भी नहीं है। इस्‍लाम को शांति का मजहब घोषित करने वालों की बहुत तकरीरे होती हैं। तो मैं उनसे भी पूछना चाहूंगा कि क्‍या इसी प्रकार की शांति की बात करते हैं।

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