Thursday, April 30, 2009

"प्रधानमंत्री, बता तो दीजिए, आप मुझसे क्यों भय खाते हैं?"


आम आदमी पूछता है

मैं साधारण सा भारतीय- आम आदमी हूं जिसे आप भूल गए हैं।
परन्तु मैं आपको नहीं भूला हूं। मुझे आपके 5 वर्षों की खूब याद है। जिससे मेरे मन में भारी आक्रोश है।
बताइए, मैं आपको प्रधानमंत्री क्यों बनाऊं?

- आप तो यह चुनाव भी नहीं लड़ रहे क्योंकि मैं जानता हूं कि आप कभी भी लोगों के सामने आने का साहस जुटा ही नहीं सकते।
- आप तो लोगों का जनादेश प्राप्त करने की बजाए मात्र प्रधानमंत्री के रूप में नामजद ही होना पसंद करते हैं।
- क्या आप मुझसे अपने 5 वर्षों के शासन के रिकार्ड को भुला देना चाहते हैं?
- आप ने तो भारत की बजाए विदेशों में घूमने में अधिक समय बिताया। भला बताइए, आपकी अनुपस्थिति में कौन राज-काज चलाता था?
- आप अपने को बड़ा भारी अर्थशास्त्री मानते हैं, परन्तु आपने तो देश की अर्थव्यवस्था ही डुबो कर रख दी।
- आप गरीब आदमी का वोट चाहते हैं, परन्तु आपने तो बहुत भारी संख्या में करोड़पति लोगों की उम्मीदवार बनाकर खड़ा कर दिया है।
- होना तो यह चाहिए था कि आप देश के निर्माण का कार्य कतरे, परन्तु आपने तो देश की राजमार्ग परियोजनाओं तक को बंद करके रख दिया।
- आपको तो देश का कर रक्षक बनना चाहिए था परन्तु आज हम यही देखते हैं कि हम लोगों को ही कोई भी हत्यारा हमारे घरों, बाजारों, होटलों और कहीं भी आकर हमारी हत्या कर देता है।
- आपने तो उन आतंकवादियों तक पर कार्रवाई नहीं की जो आए दिन नागरिकों और सैनिकों की हत्या करके चले जाते हैं। आपकी तो बस इतनी मंशा रह गई है कि हम अपनी इन हत्याओं के आदी बन जाएं।
- यह आपकी कमजोरी का ही नतीजा है कि नक्सलवादियों की संख्या निरंतर तेजी से बढ़ती चली जा रही है। वे जब चाहें मतदाताओं और सुरक्षा बलों पर हमला कर देते हैं परन्तु भला आपको इसकी परवाह ही कहां है।
- आपने बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया क्योंकि ये लोग असम और दिल्ली में अब भारी वोट बैंक बन गए हैं।
- आपने कभी भी हर भारतीय को न्याय नहीं दिलाया क्योंकि आप तो केवल एक ही समुदाय का पक्ष लेने में जुटे रहे हैं।
- आपने 1984 के सिखों के नरसंहार के लिए उनसे माफी मांगी परन्तु आपने देश से माफी मांगने में शर्म महसूस की। आपने भारतीयों से माफी नहीं मांगी।
- आपने ऐसे मंत्रियों को नियुक्त किया जिनमें से बहुत से लोगों का आपराधिक इतिहास था और वे अदालतों में अपने घिनौने आरोपों के लिए लांछित थे। आपने दंगे और बम विस्फोटों के पीड़ितों को न्याय के मामले में विलम्ब किया।
- आपने बड़े लम्बे चौडे वादे किये और फिर पूरा न कर पाने पर खेद प्रगट करते रहे। परन्तु इसके अलावा और तो कुछ आपने किया नहीं।
- आपने कभी भी हमसे दिल से बात तक नहीं की क्योंकि आप तो बस सदा ही लिखे भाषण पढ़ने में ही मशगूल रहे।
- आपको तो सार्वजनिक बहस से भी डर लगता है।
- आपके कैबिनेट मंत्री खुद अपनी सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। क्या इसी को 'ग्रांड एलाइंस' अर्थात् भव्य गठबंधन का नाम दिया जा सकता है।
- आपने परमाणु सौदे पर जल्दबाजी में हस्ताक्षर करने से पहले हमें उसकी शर्तें तक बताने में कोताही बरती। आज भी हमें इसके बारे में कुछ मालूम नहीं है।
- जब बिहार और गोवा के राज्यपालों ने लोकतंत्र की सारी मर्यादाएं तोड़ डाली तब भी आपने लोकतंत्र बचाने के लिए कुछ नहीं किया।
- आपको तो हजारों सैनिकों द्वारा अपने मैडल लौटाने पर भी कोई चिंता तक व्याप्त नहीं हुई।
- किसानों के लिए बहुत कुछ किये जाने के बड़े लम्बे चौड़े दांवों की बात कहने पर भी किसान आत्महत्याएं करते रहे, फिर भी उनके बारे में आपको जरा सी सुध तक नहीं आई।
- आपने हर कदम पर 'कुटुम्बवाद' की रक्षा कर लोकतंत्र की जानबूझ कर आहूति दे डाली।
- आपके अपने ही कैबिनेट मंत्रियों ने आपकी घोर उपेक्षा की। आप न तो किसी को नियुक्त कर सकते थे और न ही किसी को बर्खास्त कर सकते थे। ऐसे हर मंत्री ने सदा ही आपकी 'सुपीरियर पावर' का 10 जनपथ पर ही जाकर दरवाजा खटखटाया।
- आपने अपनी 'सुप्रीम नेता' के हाथ में सभी शक्तियों सौंप कर प्रधानमंत्री के सम्मान और अधिकार को गहरा आघात पहुंचाया।

और फिर भी आज आप उसी पद पर विराजमान होने की चाहत रखते है?
क्यों? क्या किसी ने फिर आपको कहा है कि आपको फिर से प्रधानमंत्री बनना है?
भले ही आप निष्ठा की छवि के पीछे अपना मुंह छुपा रहे हों, परन्तु मैं तो आपका असली चेहरा देख ही रहा हूं।


मैं आम आदमी हूं और मुझे किसी से भय नहीं लगता है।
प्रधानमंत्री, आप क्यों डर रहे हैं?
आपको किससे डर लग रहा है?मुझसे? हां, लगना भी चाहिए।

प्रशांत गोयल

1 comment:

अनुनाद सिंह said...

वाह ! आपकी स्मृति की दाद देनी पड़ेगी। बहुत सही याद दिलाया।

और भी --

* विदेश नीति में आपका क्या योगदान है? नेपाल एकमात्र भारत-मित्र पड़ोसी था ; आपने भारतीय कम्युनिस्टों के दबाव में आकर उसे भी खो दिया। आजकल वह पाकिस्तान और चीन का मित्र है और अपना ही भाई भारत के विरुद्ध आग उगल रहा है।

यह आम भारतीय की आवाज है यानी हमारी आवाज...